Monday 2 September 2019

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

गणेश चतुर्थी के पावन महापर्व  पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ

जीने की चाहत रखते हो तो,
कुछ करने की फ़ितरत,
क्यों नहीं है नसों में।

ऊपर वाले को बहुत है कोसा,
पर वह जूनून क्यों नहीं है रगों में।

जवां हो थक गए हो क्यों,
दुनिया की रियावतो से,
खुद के अंदर झाँक के देखो,
भरे हुए हो शिकायतों से।

जोश है जो भी तुममे वो मंद पड़ा है,
गैरत मंदी की बुनियादो पे तो,
 तुम्हारा स्वाभिमान खड़ा है।

खून जम गया है क्या जो बिखरे हो,
छोटी बातों में,
कहने को तो हैं बातें कई,
 पर क्यो उलझे हो जज्बातो मेँ।

कदर करो इस जिंदगी की,
जो मिलती है एक बार,
तुम्हारा किया वापस आएगा तुमपे,
सही करो या बनो गुनाहगार।

फिर भी मन ना भरे तो झांक लो,
 उन बूढ़ी आँखों में,
साँसे दीं जिन्होंने,
क्या देख सकते हैं,
 तुम्हें वो इन हालातो में।

जिंदगी हर किसी की,
 खुशकिस्मत नहीं होती,
कहीं होतें हैं उजाले तो,
कही रंगत नहीं होती।

जिंदगी को अक्सर,
मरम्मत की आरज़ू होती है,
बुलंद इरादे वालो की पूरी,
 हर जुस्तजू होती है।

नाकामी की चादर में लिपटे,
अरमानो को भी सांस चाहिये,
हौसलों से केवल कुछ न होगा,
 तुम्हारे अंदर भी एक आग चाहिये।


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